मंडला कला के लिए किस पेंसिल का प्रयोग किया जाता है, यह जानना अति आवश्यक है। यदि आप मंडला कला सीखना चाहते हैं या फिर बनाने के इच्छुक हैं तो आपको ये आधारभूत जानकारी अवश्य होनी चाहिए।
यह चुनाव पूर्णतः आपका होता है कि मंडला बनाने के लिए किस पेंसिल का उपयोग करें। आर्टिस्ट्स जिस पेंसिल का सर्वाधिक उपयोग मंडला बनाने में करते हैं, उन सभी प्रकारों के बारे में इस ब्लॉग में विस्तार से जानें।
मंडला बनाने के लिए पेंसिल सबसे पहला उपकरण होता है। इसलिए पेंसिल के गुणों को जानना आवश्यक है, जिससे कला बनाने में आसानी रहे।
मंडला कला के लिए किस पेंसिल का प्रयोग किया जाता है – विस्तार से जानें
मैं अपने इस ब्लॉग में आपके लिए पेंसिल सम्बंधित सभी जानकारी लेकर आई हूँ। जिससे आपको यह ज्ञात हो सके कि मंडला कला के लिए किस पेंसिल का प्रयोग करना चाहिए ।
मंडला बनाने के लिए यह जानना बहुत आवश्यक है कि पेंसिल कितने प्रकार की होती हैं और उनकी क्या विशेषताएं हैं।
पेंसिल किसे कहते हैं ?
पेंसिल (Pencil) एक ऐसा उपकरण है, जिसका उपयोग सामान्यतः कागज़ पर लिखने एवं चित्र बनाने के लिए किया जाता है।
पेंसिल, ग्रेफाइट (GRAPHITE) और चिकनी मिट्टी (KAOLIN) के मिश्रण से बनी रॉड (Rod) पर लकड़ी के खोल का आवरण लगाकर बनाई जाती है।
एक अच्छी पेंसिल में क्या-क्या विशेषताएं होती हैं ?
पेंसिल को HB या F की मार्किंग पर बनाया जाता है, जिसमें H का मतलब है सख़्त (HARD) और B का मतलब होता है काला (BLACK)
यदि पेंसिल में चिकनी मिटटी की मात्रा बढ़ती है तो H का नंबर भी बढ़ता है, जैसे – H, 2H, 3H, 4H, 5H, 6H, 7H, 8H, 9H। इसी प्रकार जब ग्रेफाइट की मात्रा बढ़ती है तो B बढ़ता है, जैसे- B, 2B, 3B, 4B, 5B, 6B, 7B, 8B।
उपयोग के आधार पर पेंसिल दो तरह के कामों में इस्तेमाल की जाती हैं – तकनीकी कला (Technical Art) में हार्ड पेंसिल (Hard Pencil) एवं आर्टिस्टिक ड्राइंग (Artistic Drawing) में सॉफ्ट पेंसिल (B)
मंडला आर्ट बनाने के लिए सबसे उपयुक्त पेंसिल कौन-सी होती है ?
मंडला आर्ट के लिए आप किसी भी पेंसिल का इस्तेमाल कर सकते हैं। मंडला आर्टिस्ट मुख्यतः दो विकल्प चुनते हैं – मैकेनिकल पेंसिल और पारंपरिक पेंसिल।
मैकेनिकल पेंसिल किसे कहते हैं ?
मैं ज़्यादातर मंडला बनाते हुए मैकेनिकल पेंसिल (Mechanical Pencil) का उपयोग करना पसंद करती हूं। मैकेनिकल पेंसिल की नोंक हमेशा एक जैसी रहती है, जिससे इसे बार-बार तेज़ नहीं करना पड़ता।
इसके इस्तेमाल से डिज़ाइन (Design) का हर भाग सामान रहता है और काफी समय भी बचता है।
मैकेनिकल पेंसिल की विशेषताएं निम्नलिखित हैं-
मैकेनिकल पेंसिल बॉलपेन के सामान प्लास्टिक (Plastic) अथवा मेटल फ्रेम (Metal Frame) की बनी होती है। |
पेन रिफिल के सामान ही इसमें ग्रेफाइट से बनी पतली लकड़ीनुमा छड़ का इस्तेमाल किया जाता है। |
पूरी रिफिल लम्बाई और चौड़ाई में ऊपर से नीचे तक सामान होती है। |
पारंपरिक कच्ची पेंसिल किसे कहते हैं ?
यदि आप मैकेनिकल पेंसिल इस्तेमाल नहीं करना चाहते तो पारम्परिक लकड़ी की पेंसिल भी इस्तेमाल कर सकते है। स्टैडलर (Staedtler Pencil) और अप्सरा ब्रांड (Apsara Pencil) की पेंसिल मेरी पसंदीदा पेंसिल्स में से हैं।
आप चाहें तो कोई भी HB पेंसिल इस्तेमाल कर सकते हैं।
पारंपरिक कच्ची पेंसिल की विशेषताएं निम्नलिखित हैं-
ये ग्रेफाइट एवं चिकनी मिट्टी से बनाई जाती है। |
इनसे काम तेज़ी और स्मूथली (Smoothly) किया जा सकता है। |
कच्ची पेंसिल का इस्तेमाल आर्टिस्ट सुन्दर चित्र, गहरी रेखाएं एवं सटीक मैप बनाने आदि में करते है। |
मुझे उम्मीद है कि आप जान गए होंगे कि मंडला कला के लिए किस पेंसिल का प्रयोग किया जाता है। यदि इस विषय से सम्बंधित आपका कोई प्रश् है तो नीचे टिप्पणी अनुभाग में पूछें, मैं ज़रूर उत्तर दूंगी।
मेरा नाम प्रज्ञा पदमेश है। मैं इस प्यार से बने मंच – कारीगरी की संस्थापिका हूँ। अपने अनुभव को आप सभी के साथ साझा करना चाहती हूँ ताकि आप भी मेरी तरह कला के क्षेत्र में निपुण हो जाएं।