यदि आप भी जानना चाहतें हैं कि मंडला आर्ट पर ब्लॉग कैसे शुरू करें तो हमारा यह आर्टिकल आपके बहुत काम आएगा।
इस आर्टिकल में हमनें मंडला आर्ट पर ब्लॉग शुरू करने से सम्बंधित सभी तकनीकी टर्म्स को विस्तार से समझाया है।
यह जानकारी ब्लॉगिंग की दुनियाँ में कदम रखने वाले हर व्यक्ति को ज़रूर जाननी चाहिए।
मंडला आर्ट पर ब्लॉग कैसे शुरू करें – विस्तार से जानें
मंडला आर्ट पर ब्लॉग शुरू करने के लिए सबसे पहले आपको यह निर्धारित करना होगा कि आप फ्री ब्लाग बनाना चाहते हैं या पेड। आइए दोनों के बारे में विस्तार से जानें-
Free Blog और Paid Blog में क्या अंतर है ?
फ्री ब्लॉग
जिस ब्लॉग को तैयार करने में एक भी रुपए का खर्च ना हो, उसे फ्री ब्लॉग कहा जाता है। इसे आप खुद ही अपने फोन, टैबलेट या लैपटॉप पर कुछ ही मिनटों में बना सकते हैं। उदाहरण – स्वरचित रचनाएं
फ्री ब्लॉग बनाने के लिए आप Medium, Tumblr, Blogger, Facebook, Quora, Instagram और YouTube जैसे बहुप्रचलित प्लेटफार्म्स का उपयोग कर सकते हैं।
इन सभी पर आप लॉग इन कर डिटेल्स भरकर तुरन्त अपना मंडला आर्ट ब्लॉग शुरू कर सकते हैं।
पेड ब्लॉग
जिन ब्लॉग्स को बनाने में पैसे खर्च करने पड़ते हैं, पेड ब्लॉग कहलाते हैं। इन्हें आप खुद से झटपट नहीं बना सकते क्योंकि यह ब्लॉग का विकसित रूप होते हैं। उदाहरण – कारीगरी
इनमें बहुत से एडीशनल फीचर्स (Additional Features) जुड़े होते हैं, जिनके लिए बाहरी सपोर्ट (Support) की ज़रूरत होती है। बाहरी सपोर्ट से मेरा मतलब सर्विसेस प्रोवाइडर कंपनी (Service Provider Company) से है, जो ब्लॉगर की ज़रूरतों और पसंद के हिसाब से ब्लॉग तैयार करने में मदद करती हैं।
पेड ब्लॉग बनाने के लिए WordPress, WIX या Weebly जैसे प्लेटफॉर्म्स अच्छे विकल्प हैं।
Free Blog और Paid Blog से जुड़े महत्वपूर्ण Tips
1. Trend पता होना फायदेमंद रहता है। |
2. Blog पर Blogger का पूरा Control होना ज़रूरी है। |
3. Latest Features अपनाकर Blog की Freshness बनाएं रखें। |
4. Domain Name को बार-बार बदलना Blog के लिए घातक होता है। |
5. Data Recover होने की सुविधा मिलना आवश्यक है। |
6. बढ़ते हुए Traffic का सही Management होना चाहिए। |
7. User Interaction ब्लॉग की Growth के लिए बहुत अच्छा है। |
Trend पता होना फायदेमंद रहता है
फ्री ब्लॉग बनाने के लिए खास तकनीकी जानकारी (Technical knowledge) की ज़रूरत नहीं होती। अगर आप थोड़ा भी इंटरनेट (Internet) इस्तेमाल करना जानतें हैं तो फ्री ब्लॉग बनाना आपके लिए बांए हाथ का खेल होगा।
दूसरी ओर पेड ब्लॉग शुरू करने से पहले आपको रिसर्च (Research) करनी ज़रूरी होती है। जिससे आपको सर्विसेस (Services) की मार्केट वैल्यू (Market Value) और ट्रेंड (Trend) पता रहे। जिनकी तुलना करके ब्लॉग की ज़रूरतों और अपने बजट के हिसाब से सर्विसेस चुन सकें।
Blog पर Blogger का पूरा Control होना ज़रूरी है
फ्री ब्लॉग के लिए आप चाहें जिस भी प्लेटफार्म को चुनें, आपको कभी भी पूरा अधिकार नहीं दिया जाएगा। प्लेटफार्म जब चाहे आपका ब्लॉग डिलीट (Delete) और ब्लॉक (Block) कर सकता है।
पेड ब्लॉग पर ब्लॉगर का पूरा कंट्रोल होता है। किसी कारण से अगर प्लेटफॉर्म ब्लॉग को डिलीट या ब्लॉक करता है तो ब्लॉगर को सूचना (Information) और कारण (Reason) दोनों दिए जाएंगे।
Latest Features अपनाकर Blog की Freshness बनाएं रखें
फ्री ब्लॉग में आप अपनी पसंद से कलर स्कीम (Color Scheme), फॉन्ट साइज़ (Font Size), डिस्प्ले पिक्चर (Display Picture) और बैकग्राउंड थीम (Background Theme) बदल सकते हैं।
पेड ब्लॉग में समय-समय पर नये फीचर्स जुड़ते रहतें हैं। फॉन्ट, कलर स्कीम और बैकग्राउंड थीम्स के लेटेस्ट वर्ज़न (Latest Version) को अपनाकर ब्लॉग व्यू (View) को बदल सकतें हैं। ऐसा करने से ब्लॉग फ्रेश व अपडेटेड (Updated) रहता है।
Domain Name को बार-बार बदलना Blog के लिए घातक होता है
बार-बार डोमेन नेम (Domain Name) बदलने से ब्लॉग को यूज़र्स (Users) पहचान नहीं पाते, जिससे ट्रैफिक (Traffic) घटने लगता है। फ्री ब्लॉग में डोमेन नेम आसानी से मिल जाता है लेकिन अगर किसी ब्लॉगर ने आपके ब्लॉग के डोमेन नेम को चुरा लिया तो आप उस पर क्लेम (Claim) नहीं कर पाएंगे।
पेड ब्लॉग्स के साथ आपको श्योरिटी (Surety) मिलती है। एक पेड डोमेन नेम सिर्फ़ एक ही ब्लॉग के लिए एप्रूव (Approve) होता है। इसलिए जब तक ब्लॉग का पेड सब्सक्रिप्शन (Subscription) रहेगा, उसका डोमेन नेम कोई नहीं चुरा सकता। अगर ऐसा होता है तो आप उस ब्लॉगर पर क्लेम करने के पूरे हक़दार हैं।
Data Recover होने की सुविधा मिलना आवश्यक है
फ्री ब्लॉग में लिमिटेड डेटा स्टोरेज (Limited Data Storage) की सुविधा मिलती है। अगर ब्लॉग में वायरस (Virus) या बग (Bug) के कारण डेटा उड़ जाता है तो उसे वापस लाना बहुत मुश्किल होता है।
पेड ब्लॉग में वेब होस्टिंग प्रोवाइडर (Web Hosting Provider) डेटा स्टोरेज की पूरी ज़िम्मेदारी लेते हैं। अगर किसी कारण से जानकारी ब्लॉग से डिलीट हो जाए तो आप होस्टिंग कंपनी की मदद से उसे वापस रिकवर (Recover) कर सकतें हैं।
बढ़ते हुए Traffic का सही Management होना चाहिए
ब्लॉग पर ट्रैफिक (Traffic) बढ़ने से ब्लॉग की स्पीड (Speed) पर फर्क पड़ता है। ब्लॉगर्स को फ्री ब्लॉग में अक्सर इस समस्या से जूझना पड़ता है।
पेड ब्लॉग में पूरा तकनीकी सपोर्ट (Technical Support) मिलता है। ट्रैफिक बढ़ने के अगर ब्लॉग की स्पीड धीमी होती है तो आप तुरंत होस्टिंग कंपनी में शिकायत कर सकतें है। जिससे जल्द-से-जल्द ब्लॉग की स्पीड ठीक की जा सके।
User Interaction ब्लॉग की Growth के लिए बहुत अच्छा है
यदि बिज़नेस की तरह शुरू करना चाहते हैं तो फ्री ब्लॉग आपको यूज़र (User) से इंटरैक्ट (Interact) करने के लिमिटेड (Limited) तरीके जैसे – कमेंटस (Comments) और मैसेजेस (Massages) की सुविधा देता है।
वहीं पेड ब्लॉग में अनलिमिटेड ईमेल (Unlimited Email) सुविधा मिलती है। जो बिज़नेस को बढ़ाने और यूज़र इंटरेक्शन में बहुत काम आती है। बिज़नेस से जुड़ी सूचनाएं, नई सुविधाएं और नये बदलाव आसानी से यूज़र तक पहुंच जाते हैं।
विशेष :- अगर आप शौकिया तौर पर मंडला आर्ट ब्लॉग शुरू करना चाहते है तब फ्री ब्लॉग सही विकल्प है। यदि आप प्रोफेशनली ब्लॉगिंग करना चाहतें हैं तो पेड ब्लॉग से ही शुरुआत करें।
प्रोफेशनली मंडला आर्ट पर ब्लॉग शुरू करने के लिए बेहद महत्वपूर्ण टर्म्स, जो एक नये ब्लॉगर को जरूर पता होनी चाहिए। आइए उन सभी के बारे में जानते हैं –
Niche किसे कहते हैं ?
Niche को हिंदी बोलचाल की भाषा में नीश कहा जाता है। प्रत्येक ब्लॉग किसी-न-किसी विषय या विचार पर आधारित होता है। इस विषय या विचार को तकनीकी भाषा में नीश कहते हैं।
किसी भी ब्लॉग को शुरू करने से पहले सबसे बड़ी चुनौती होती है, उसके लिए एक अच्छी नीश चुनना। कोई भी ब्लॉग नीश के बिना लम्बे समय तक बढ़ नहीं कर सकता।
ब्लॉग को सफल बनाने के लिए हर ब्लॉगर को एक अच्छी नीश ढूंढनी पड़ती है। यदि आप मंडला आर्ट पर ब्लॉग शुरू करना चाहते हैं तो आपकी नीश मंडला से ही सम्बंधित होनी चाहिए।
Multi Niche और Single Niche में क्या फ़र्क होता है ?
जिन ब्लॉग्स में एक से अधिक नीश पर कंटेंट पोस्ट किया जाता है, मल्टी नीश ब्लॉग कहलाते हैं। समाचार (News) और मनोरंजन (Entertainment) दोनों ही मल्टी नीश ब्लॉगिंग के बढ़िया उदाहरण हैं।
जब एक ही नीश को केंद्र में रखकर पूरा ब्लॉग बनाया जाता है तो उसे सिंगल नीश ब्लॉग कहते हैं। इन ब्लॉग्स का पूरा कंटेंट एक ही विषय पर आधारित होता है। कला (Art) और स्वास्थ्य (Health) पर आधारित ब्लॉग्स इसी श्रेणी में शामिल हैं।
बेहतरीन Niche चुनने के लिए सहायक Tips
8. अपने Interests को Evaluate करें। |
9. आत्मविश्वास से Decision लें। |
10. एक New Approach ही Positive Change लाती है। |
11. Development की ओर क़दम बढ़ाएं। |
12. Knowledge को Hard Work से संजोएं। |
13. Brain Storming से ही सही दिशा मिलेगी। |
14. Risk लेने को तैयार रहें। |
15. Core Research बहुत लाभदायक होती है। |
16. Viral Issues के पीछे ना भागें। |
17. Reader’s Choice को महत्त्व दीजिए। |
18. दूसरे ब्लॉगर की नीश को Copy ना करें। |
19. ब्लॉग के Monetization में नीश सहायक होनी चाहिए। |
अपने Interests को Evaluate करें
नीश चुनने के लिए सबसे पहले अपनी रुचियों का मूल्यांकन करना बहुत ज़रूरी होता है। ब्लॉगिंग लम्बे समय तक चलने वाली प्रक्रिया है, इसलिए विषय में रूचि होने पर ही आप नियमित रूप से पोस्ट लिख पायंगे।
आत्मविश्वास से Decision लें
उन समस्याओं को खोजिए, जिनके समाधान आपसे बेहतर कोई नहीं दे सकता। नीश सही मायने में ब्लॉगर को ऐसी जानकारी देने में सक्षम बनाती है, जो किसी किताब में नहीं मिलेगी। यह अनुभवों, विचारों, रूचि, खोज और उत्सुकताओं का परिणाम है।
एक New Approach ही Positive Change लाती है
हर व्यक्ति में कोई-न-कोई प्रतिभा छिपी होती है। किसी को खेलने का शौक़ होता है, किसी को पढ़ने का, किसी को खाना बनाना अच्छा लगता है और किसी को रिपोर्टिंग करना।
अपने अंदर की उसी ख़ास प्रतिभा को पहचानिए, जो आपको दूसरों से अलग बनाती है। आपका एक खास विचार पूरे ब्लॉग की नीश हो सकता है।
Development की ओर क़दम बढ़ाएं
नीश समाज के विकास में सहायक होनी चाहिए क्योंकि लोग इंटरनेट पर अपनी ज़रूरतों और रुचियों के हिसाब से खोजते हैं। जितने ज़्यादा लोगों को उनके द्वारा खोजे प्रश्नों के सही उत्तर आपके ब्लॉग पर मिलेंगे। उतनी ही जल्दी ब्लॉग को गूगल रैंकिंग्स (Google Rankings) मिलेंगी।
विशेष:- गूगल हर कंटेंट (Content) को एक पोज़ीशन (Position) देता है, जिसे रैंकिंग (Ranking) कहा जाता हैं। गूगल के फर्स्ट पेज पर टॉप थ्री (Top Three) रैंकिंग्स में आना सबसे सबसे अच्छा माना जाता है।
Knowledge को Hard Work से संजोएं
ऐसी नीश चुनें, जिसके बारे में आपको अधिक-से-अधिक जानकारी हो। अगर ज़्यादा जानकारी न हो तो विषय के बारे में पढ़ने और सीखने के बाद ही नीश का चुनाव करें।
Brain Storming से ही सही दिशा मिलेगी
यह ऐसी तकनीक है, जो नवीन एवं उत्कृष्ट विचारों को जन्म देती है। बहुत सूझबूझ के साथ आपको मंडला आर्ट ब्लॉग के लिए नीश को चुनना होगा। दूसरों की सलाह (Advice) एवं अभिप्रेरणाओ (Motivation) को साथ रखें लेकिन अंतिम निर्णय आपका ही होना चाहिए।
Risk लेने को तैयार रहें
लोग क्या कर रहें हैं, उसपर समय बर्बाद करने से अच्छा है खुद पर विश्वास करके आगे बढ़ना। जिन नीशेज़ पर पहले से ही इंटरनेट पर भरमार है, उसे चुनने से बेहतर है कम कंटेंट वाली नीश को चुनना।
जिससे आप वो जानकारी उपलब्ध करा सकें, जो इन्टरनेट पर पहले से उपलब्ध नहीं है या कम मात्रा में है।
Core Research बहुत लाभदायक होती है
क्या नीश ब्लॉग बनाने के योग्य है ? क्या यूज़र्स सच में इस विषय के बारे में जानना चाहतें हैं ? जिस उद्देश्य से आप ब्लॉग शुरू कर रहें है-उसके सफल होने की कितने प्रतिशत सम्भावना है ?
ऐसे प्रश्नों के उत्तर गहन रिसर्च से ही मिल सकतें है, जो कि ब्लॉग शुरू करने से पहले जानना बेहद ज़रूरी होता है।
Viral Issues के पीछे ना भागें
वायरल होने वाले विषय मौसमी बरसात की तरह होते हैं। जी हाँ, यह जितनी तेज़ी से आपके ब्लॉग को सफलता दिला सकतें है, उससे दोगुनी तेज़ी से असफलता की ओर मोड़ भी सकतें हैं।
इसलिए मंडला आर्ट पर ब्लॉग शुरू करने के लिए दूर द्रष्टिकोण अपनाना होगा। ऐसी नीश चुननी होगी, जो हमेशा पाठकों के काम आए। इससे आपका ब्लॉग कितना भी पुराना हो जाए लेकिन बूढा कभी नहीं होगा।
Reader’s Choice को महत्त्व दीजिए
ब्लॉगिंग में अपनी पसंद से अधिक पाठकों की पसंद को प्राथमिकता देनी चाहिए क्योंकि आप जिनके लिए कंटेंट लिख रहे हैं अगर उन्हें इसकी ज़रुरत नहीं हुई तो आपका काफी समय बर्बाद हो जाएगा।
दूसरे ब्लॉगर की नीश को Copy ना करें
नीश को कॉपी या चोरी करने से पेनल्टी पड़ने की सम्भावना रहती है। किसी भी ब्लॉग और ब्लॉगर के लिए यह बहुत शर्मनाक साबित हो सकता है। इसलिए जहाँ तक संभव हो बचके रहें।
ब्लॉग के Monetization में नीश सहायक होनी चाहिए
नीश ऐसी होनी चाहिए, जिससे आप ज़्यादा-से-ज़्यादा पैसे कमा सकें। पैसे उसी चीज़ से कमाए जा सकते हैं, जिसकी खपत ज़्यादा और आपूर्ति कम हो। मंडला आर्ट से पैसे कमाना इसलिए भी ज़रूरी है क्योंकि यही आपकी मेहनत का फल है।
Niche कैसे चुने ?
Step1 – सबसे पहले एक लिस्ट बनाएं, जिसमें उन कामों को जोड़ें जिन्हें करने में आपको ख़ुशी मिलती है। जिस काम को करने में ख़ुशी मिलती है, उसी को लम्बे समय तक पूरी शिद्दत और मन लगाकर किया जा सकता है।
Step2 – लिस्ट में से सबसे बेहतर 5-10 विषयों को छांट लें। ये विषय ऐसे होने चाहिए, जिन्हें लेकर आपके मन में कोई संदेह न हो। सिर्फ यह भावना रहे कि आप सबसे ज़्यादा मेहनत इन विषयों पर कर सकतें हैं।
Step3 – Google पर अपने द्वारा चुने गए विषयों को ढूंढे। जितना अधिक सर्च क्वेरी होगी, आपके ब्लॉग पर ट्रैफिक आने की उतनी अधिक सम्भावना रहेगी ।
विशेष-सर्च क्वेरी का मतलब होता है, लोगों द्वारा इंटरनेट पर उस विषय के बारे में खोजने से सम्बन्धित आंकड़े।
Step4 – चुने गए विषयों को आप Google Keyword Planner, Google Trends और Google Search Console जैसे कीफ्रेज़ सर्चिंग प्लेटफॉर्म्स (Keyphrase Searching Platforms) पर ढूंढ सकतें हैं। जहाँ से आपको नीश की इंटरनेट पर सही स्तिथि पता चल जाएगी।
Step5 – नीश चुनने के बाद आपके पास उससे सम्बंधित कम-से कम 50-100 टॉपिक्स होने चाहिए। जिन्हें तकनीकी भाषा में कीफ्रेज़ (Keyphrase) कहा जाता है। यह इसलिए ज़रूरी है क्योंकि ब्लॉग लाइव (Live) होने के बाद कीफ्रेज़ ढूंढने में आपका समय व्यर्थ न हो।
Web Hosting किसे कहते हैं ?
Web Hosting को हिंदी बोलचाल की भाषा में वेब होस्टिंग कहा जाता है। ब्लॉग पर जोड़ी जाने वाली तस्वीरें, मिडिया फ़ाइल एवं स्टोरेज वेब होस्टिंग के अंतर्गत आती हैं।
दुनियां के किसी भी हिस्से से जब कोई व्यक्ति आपके ब्लॉग पर आता है तो उसे कंटेंट पढ़ने और देखने में कोई दिक्कत न हो, इसलिए सारा डाटा वेब पर स्टोर रहता है। जिसके लिए वेब होस्टिंग खरीदना आवश्यक होता है।
अच्छी Web Hosting लेने के लिए बढ़िया Tips
20. SSL Certificate ज़रूर होना चाहिए। |
21. Blog का Uptime अधिक होना चाहिए। |
22. Daily Backup अनिवार्य है। |
23. 24/7 का Technical Support होना आवश्यक है। |
24. Inode Count पर ध्यान दें। |
25. Target Audience के अनुसार Server Response Speed होनी चाहिए। |
26. High Bandwidth को प्राथमिकता दें। |
27. बिज़नेस बढ़ाने के लिए Unlimited Email Facility बहुत ज़रूरी है। |
28. Unlimited Disk Space का चुनाव करें। |
29. CPanel Access होना चाहिए। |
30. कभी भी Account Suspend न होने दें। |
31. Plan Upgrade करने की अनुमति होनी चाहिए। |
32. Package Auto Renewal की सुविधा उपलब्ध हो। |
33. Refund Policy में Money Back Guarantee मिलनी चाहिए। |
SSL Certificate ज़रूर होना चाहिए
जिसे सिक्योर सॉकेट्स लेयर (Secure Sockets Layer) भी कहा जाता है। ब्लॉग के डोमेन नेम से पहले ताले का आइकॉन बना होता है, जो कि एसएसएल सर्टिफिकेट को दर्शाता है। यह सर्टिफिकेट लेना इसलिए ज़रूरी होता है क्योंकि ब्लॉग को हैकर्स से बचाया जा सके और यूज़र डेटा सुरक्षित रहे।
एसएसएल सर्टिफिकेट लेने वाली वेबसाइट्स के एड्रेस हमेशा https से शुरू होते हैं और जिन वेबसाइट्स के पास यह सर्टिफिकेट नहीं होता उनके एड्रेस http से शुरू होते हैं। बहुत से होस्टिंग प्रोवाइडर्स यह मुफ्त या प्लान में जुड़ा हुआ देते हैं, इसलिए इसकी जांच ज़रूर कर लें।
Blog का Uptime अधिक होना चाहिए
वेब होस्टिंग लेते समय आपको अपटाइम पर ध्यान देना होगा। वही होस्टिंग लेनी चाहिए, जिसमें Uptime 99.99% या इससे अधिक हो। इससे आपका ब्लॉग 24 घंटे ऑनलाइन रहेगा और आसानी से खुलेगा।
बहुत से वेब होस्टिंग प्रोवाइडर के होम पेज पर Uptime लिखा होता है, जिससे पता चलता है कि वह अपने सिस्टम को चालू रखने में कितना अच्छा है। जिन होस्टिंग प्रोवाइडर द्वारा Uptime न बताया जाएं, उन्हें बिल्कुल ना चुनें।
Daily Backup अनिवार्य है
हर दिन का बैकअप डेटा सुरक्षित रखना होस्टिंग कम्पनी की ज़िम्मेदारी होती है। अगर किसी कारण से ब्लॉग से डेटा रिमूव (Remove) हो जाए तब उस गायब हुए डेटा को रिट्रीव (Retrieve) करने में सहायता मिलती है। इसलिए डेली बैकअप की सुविधा ब्लॉग के लिए अनिवार्य है।
24/7 का Technical Support होना आवश्यक है
कोई भी वेब होस्टिंग लेने से पहले टेक्निकल सपोर्ट के रिव्यूज़ (Reviews) ज़रूर चेक कर लें। चैट (Chat) और मेल (Mail) सुविधा के साथ-साथ 24 घंटे कॉलिंग (Calling) टेक सपोर्ट भी होना चाहिए।
ब्लॉग में जब भी एरर (Error) आता है तो उस समय टेक सपोर्ट की ज़रुरत पड़ती है ताकि तुरंत प्रोवाइडर से बात करके समस्या दूर की जा सके। सभी वेब होस्टिंग प्रोवाइडर सेल्स सपोर्ट देते हैं लेकिन ब्लॉग के लिए उससे ज़्यादा ज़रूरी टेक सपोर्ट होता है।
Inode Count पर ध्यान दें
इनोड काउंट का मतलब होता है कि आप सर्वर (Server) पर कितनी फाइल्स रख सकते हैं। यह सामान्यतः 1.5-3 लाख तक होता है। इसलिए वेब प्रोवाइडर से ज़रूर पता कर लें कि कम-से-कम 2 लाख तक ब्लॉग का इनोड काउंट हो।
Target Audience के अनुसार Server Response Speed होनी चाहिए
किसी भी ब्लॉग के लिए सर्वर रेस्पॉन्स स्पीड बहुत मायने रखती है। इससे पता चलता है कि ब्लॉग कितनी जल्दी रेस्पॉन्स करता है। एशियाई देशों का सर्वर सिंगापोर में है, इसलिए अगर आप एशियन हैं तो आपके ब्लॉग को अच्छी सर्वर स्पीड मिलेगी।
यदि सर्वर अमेरिका का है तो यूज़र्स के लिए रेस्पॉन्स स्पीड कम होगी। इसलिए होस्टिंग लेने से पहले टारगेट ऑडियंस (Target Audience) और सर्वर प्लेस (Server Place) के बारे में पूरी तरह जान लें।
High Bandwidth को प्राथमिकता दें
एक निश्चित समय में ब्लॉग द्वारा जितना अधिक डेटा यूज़र को दिखाया जाता है, बैंडविथ कहलाता है। जब कोई यूज़र आपके ब्लॉग पर आएगा तब प्रति सेकेंड जो आंकड़े बदलेंगे, उन्हें बैंडविथ कहा जाएगा।
ये आंकड़े इसलिए बदलेंगे क्योंकि यूज़र ब्लॉग पढ़ेगा, विज़ुअल्स (Visuals) देखेगा या अलग-अलग पेज पर जाएगा।जितने कम समय में ज़्यादा-से ज़्यादा डेटा ट्रांसफर होता है, बैंडविथ उतना ही अच्छा माना जाता है। इसलिए बैंडविथ लगभग 5GB-10GB मंथली होना चाहिए।
बिज़नेस बढ़ाने के लिए Unlimited Email Facility बहुत ज़रूरी है
आपके ब्लॉग पर जैसे-जैसे सब्सक्राइबर्स (Subscribers) बढ़ेंगे, ईमेल स्टोरेज की ज़रुरत पड़ेगी। ब्लॉग में यदि कोई नई सुविधा जोड़ी जाती है तो सभी सब्सक्राइबर्स तक उसकी जानकारी पहुंचनी चाहिए।
जिसके लिए ब्लॉग के होस्टिंग प्लान में असीमित ईमेल सुविधा का होना ज़रूरी है। इसलिए होस्टिंग लेते समय इस बात का विशेष ख्याल रखें।
Unlimited Disk Space का चुनाव करें
हर ब्लॉग का डेटा सही सलामत रखने के लिए स्टोरेज की आवश्यकता होती है, जिसे डिस्क स्पेस भी कहा जाता है। डिस्क स्पेस के अंतर्गत ब्लॉग का पूरा डेटा, जैसे-टेक्स्ट (Text), फोटोज़ (Photos), विडीयोज़ (Videos) और ईमेल्स (Emails) आदि शामिल होते हैं।
ब्लॉग के लिए हमेशा अनियमित (Unlimited) स्टोरेज ही चुनें क्योंकि जैसे-जैसे कंटेंट व अन्य चीज़ें जुड़ेंगी तो आपको नए प्लान्स के बारे में नहीं सोचना पड़ेगा।
CPanel Access होना चाहिए
यह Linux आधारित ग्राफिकल यूज़र इंटरफ़ेस (Graphical User Interface-GUI) है, जो एक एडवांस लेवल फीचर है। यह वेबसाइट और सर्वर का प्रबंधन करने के टूल (Tool) के रूप में काम करता है।
कभी भी Account Suspend न होने दें
भविष्य में अगर आपके ब्लॉग पर लिए गए पैकेज से ज़्यादा लोड बढ़ जाता है तो ऐसे में बहुत बार प्रोवाइडर्स एकाउंट सस्पेंड या ब्लॉक कर देते हैं। ऐसा होने पर आपकी सारी मेहनत बेकार हो जाएगी और स्थापित ब्लॉग आपके हाथों से चला जायेगा।
इसलिए वेब होस्टिंग लेते समय यह सुनिश्चित कर लें कि अगर कभी ऐसा होगा तो प्रोवाइडर्स ब्लॉग ससपेंड करने से पहले आपको सूचना देंगे।
Plan Upgrade करने की अनुमति होनी चाहिए
ब्लॉग पर एक होस्टिंग प्लान लागू रहते हुए दूसरा प्लान को लेना अपग्रेड कहलाता है। आपने ब्लॉग के लिए एक प्लान लिया लेकिन कुछ समय बाद किसी कारण उसे बदलकर दूसरा प्लान लेना पड़े।
ऐसे में कुछ होस्टिंग प्रोवाइडर यह अपग्रेड सुविधा नहीं देती, जो आपके लिए बड़ी समस्या बन सकती है।
Package Auto Renewal की सुविधा उपलब्ध हो
वेब होस्टिंग लेते समय ध्यान दे कि प्रोवाइडर सुविधा देते समय कितने पैसे ले रहे हैं और रिन्यू (Renew) पर कितने पैसे लेंगे। हर प्रोवाइडर पहली होस्टिंग में डिस्काउंट देते हैं या फिर कम पैसे लेते हैं। जब होस्टिंग रिन्यू करवाई जाती है तो हमेशा अधिक पैसे देने होते हैं।
Refund Policy में Money Back Guarantee मिलनी चाहिए
होस्टिंग प्लान बदलने पर प्रोवाइडर्स की रिफंड पॉलिसी क्या है, यह जानना बहुत ज़रूरी है। सामान्यतः ब्लॉग का प्लान बदलने पर लगभग 30 दिन के अंदर रिफंड मिल जाता है। इसलिए होस्टिंग लेते समय रिफंड पॉलिसी पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
Domain Name क्या होता है ?
Domain Name को हिंदी बोलचाल की भाषा में डोमेन नेम कहा जाता है। ये, डोमेन नेम प्रणाली (Domain Name System – DNS) के नियमों और प्रक्रियाओं द्वारा बनते हैं। DNS में पंजीकृत कोई भी नाम एक डोमेन नेम है।
सरल शब्दों में कहें तो ऐसा नाम, जिससे इंटरनेट पर ब्लॉग को पहचाना जा सके। हर डोमेन नेम एक विशिष्ट आईपी एड्रेस से जुड़ा होता है।
आईपी एड्रेस (Internet Protocol Address – IP) संख्याओं का एक सेट (Numerical Set) है, जो इंटरनेट पर ब्लॉग के बारे में पूरी जानकारी देता है।
इसे खरीदना इसलिए ज़रूरी होता है क्योंकि एक डोमेन नेम सिर्फ एक ही ब्लॉग के लिए मिल सकता है। इसलिए अगर आप इसे खरीदते हैं तो कोई भी दूसरा व्यक्ति आपके ब्लॉग का डोमेन नेम नहीं चुरा पाएगा।
Domain Name से जुड़े खास Tips
34. पसंदीदा नामों की List बनाएं। |
35. हमेशा Scope रहना चाहिए। |
36. Fancy की बजाय Classic को चुनना बेहतर विकल्प है। |
37. Small और Single Words अधिक प्रभावशाली होते हैं। |
38. आसान Pronunciation होना चाहिए। |
39. नीश को Represent करने वाला हो। |
40. Unique और Personalized होना चाहिए। |
41. Special Characters एवं Numbers को शामिल ना करें। |
42. Social Sites को Cross Check ज़रूर करें। |
43. Trademarks से सावधान रहे। |
44. सही Top Level Domain-TLD का इस्तेमाल करें। |
45. Domain Name Generator पर खोजें। |
46. Addon Domain की सुविधा लाभदायक होती है। |
47. Auto Renewal के लिए डोमेन नेम Set करें। |
पसंदीदा नामों की List बनाएं
डोमेन नेम चुनने से पहले कम-से-कम 5-10 नाम लिख लें ताकि आपके पास कुछ विकल्प रहे। अगर किसी कारण से आपको अपनी पहली पसंद का डोमेन नेम नहीं मिलता है तो अतिरिक्त नामों में से दूसरा नाम चुना जा सके।
हमेशा Scope रहना चाहिए
डोमेन नेम फोकस्ड (Focused) नहीं बल्कि ब्रोड एरिया (Broad Area) कवर करने वाले होने चाहिए। इसका मतलब है कि ब्लॉग के लिए डोमेन नेम ऐसा चुनें, जिसमें अधिक-से-अधिक कीफ्रेज़ शामिल किए जा सकें।
Fancy की बजाय Classic को चुनना बेहतर विकल्प है
ट्रेंडिंग (Trending) या फैंसी नेम जल्दी पुराने हो जाते हैं। इसलिए हमेशा ऐसा डोमेन नेम रखें, जो सालोँ बाद भी फ्रेश लगे और बदलना न पड़े।
Small और Single Word अधिक प्रभावशाली होते हैं
डोमेन नेम छोटा और एक शब्द वाला होने से यूज़र्स को गूगल पर ब्लॉग ढूंढने में आसानी रहती है। सामान्यतः 5-10 अक्षरों वाला डोमेन नेम अच्छा माना जाता है।
आसान Pronunciation होना चाहिए
डोमेन नेम में सरल शब्दों का इस्तेमाल करें ताकि पाठकों को जल्दी याद हो जाये। डोमेन नेम याद होने से यूज़र्स इंटरनेट पर डायरेक्ट ब्लॉग सर्च करते हैं।
नीश को Represent करने वाला हो
डोमेन नेम से पाठकों को समझ आ जाना चाहिए कि आपका ब्लॉग किस विषय पर आधारित है। इसमें पाठक को बिल्कुल भी कन्फयूज़ (Confuse) न करें।
Unique और Personalized होना चाहिए
डोमेन में अपने व्यवसाय, अपनी संस्था और ख़ुद के नाम को जोड़ सकते हैं। इससे ब्लॉग का नाम यूनिक और व्यक्तिगत दिखता है। ऐसा करने से आपके ब्लॉग के डोमेन नेम के कॉपी होने या चोरी होने के चान्सेस खुद-ब-खुद कम हो जाते हैं।
Special Characters एवं Numbers को शामिल ना करें
कभी भी डोमेन नेम में विशिष्ट चिन्हों और अंकों को शामिल न करें क्योंकि इससे ब्लॉग ढूंढते समय यूज़र्स को असुविधा होती है। बहुत बार यूज़र्स इन्हें भूल कर सिर्फ ब्लॉग नेम सर्च करते हैं। ऐसा होने पर यूज़र्स को आपका ब्लॉग की बजाय उससे मिलते-जुलते नाम वाले ब्लॉग्स दिखेंगे।
Social Sites को Cross Check ज़रूर करें
डोमेन नेम खरीदने से पहले सोशल प्लेटफॉर्म्स को ज़रूर चेक करे। कहीं सोशल मीडिया पर पहले से ही उस नाम को इस्तेमाल तो नहीं किया जा रहा। ऐसा होने पर आपकी मेहनत बेकार हो सकती है क्योंकि यदि पहले से ही उस नाम से कोई एकाउंट फेमस है तो कम्पटीशन देना आपको मुश्किल में डाल सकता है।
Trademarks से सावधान रहे
पहले से लिए जा चुके ट्रेडमार्क यानि विशिष्ट पहचान चिन्ह से सावधान रहे। बहुत बार ब्लॉगर्स ये गलती करते हैं कि मशहूर और ट्रेंडिंग ब्लॉग्स से मिलते-जुलते डोमेन नेम खरीद लेते हैं।
अगर आप भी ऐसा करने की सोच रहे है तो यह रास्ता कभी न अपनाएं। एक जैसे ब्लॉग नेम होने की वजह से ट्रैफिक विचलित होता है और विकास को रोकता है।
सही Top Level Domain – TLD का इस्तेमाल करें
ब्लॉग नेम के बाद आने वाले अंतिम हिस्से को आम भाषा में एक्सटेंशन (Extension) कहा जाता है। .com सबसे अच्छा एक्सटेंशन माना जाता है। यह इसलिए लोकप्रिय एक्सटेंशन है क्योंकि इससे ब्लॉग को रैंक कराना आसान हो जाता है।
अगर .com उपलब्ध हो तो इसे ही प्राथमिकता दे लेकिन अगर यह न मिले तो आपको उदास होने की आवश्यकता नहीं है। तेज़ी से बदलते और विकसित होते तकनीकी क्षेत्र में अन्य एक्सटेंशन जैसे- .net .org .co, .edu को चुन सकतें हैं।
विशेष :- .in भारतीय ब्लॉग्स के लिए और .us अमेरिकन ब्लॉग्स के लिए इस्तेमाल होता है। ये दोनों ही क्षेत्र आधारित एक्सटेंशन्स हैं।
Domain Name Generator पर खोजें
यदि आपको ख़ुद से डोमेन नेम सोचने या छांटने में दिक्कत हो रही है तो आप जनरेटर का इस्तेमाल कर सकतें हैं। वर्तमान समय में इंटरनेट पर बहुत सारे जनरेटर्स उपलब्ध हैं, जो बस एक क्लिक में ही बेस्ट डोमेन नेम्स दिखा देते हैं।
Nameboy, DomainWheel और BusinessNameGenerator तीनों ऐसे ही प्रचलित डोमेन नेम जनरेटर्स हैं, जिन्हें आप बेहिचक इस्तेमाल कर सकतें हैं।
Addon Domain की सुविधा लाभदायक होती है
कभी-कभी प्राइमरी डोमेन को बदलना पढ़ जाता है। कुछ प्रोवाइडर्स यह सुविधा देतें हैं और कुछ नहीं देतें। ऐसे में आपको ख्याल रखना चाहिए कि पैकेज में डोमेन बदलने और ऐडऑन डोमेन जोड़ने की सुविधा हो। जिससे आप कभी भी प्राइमरी डोमेन को बदल कर नया डोमेन इस्तेमाल कर सकें।
Auto Renewal के लिए डोमेन नेम Set करें
डोमेन नेम खरीदने से पहले रजिस्ट्रार की “सेवा की शर्तें” ज़रूर पड़ें और रिन्यूअल की दरें जान लें। स्वतः नवीनीकरण (Auto Renewal) से तात्पर्य है कि जो डोमेन नेम आप खरीदतें हैं, वो प्लान ख़त्म होने पर खुद-ब-ख़ुद दोबारा आपको मिल जाए।
सरल शब्दों में समझें तो डोमेन नेम का मालिकाना हक़ आपका ही रहे। हर डोमेन नेम एक निश्चित अवधि के लिए ब्लॉगर को दिया जाता है। ऐसे में प्लान को ख़त्म हुए ज़्यादा समय हो जाए तो रजिस्ट्रेशन (Registration) रद्द हो जाता है।
उस स्तिथि में वो नाम अगर कोई दूसरा ब्लॉगर रजिस्टर करे तो उसे आसानी से मिल जाता है। इसलिए हमेशा ऑटो रिन्यू होने वाले डोमेन नेम प्लान ही चुनें।
Web Hosting और Domain Name कैसे खरीदें ?
डोमेन नाम खरीदने के लिए आपके पास Bluehost,GoDaddy और HostGator जैसे बेहतर विकल्प हैं। इन्हें तकनीकी भाषा में डोमेन रजिस्ट्रार कहा जाता है। इनमें से आप किसी का भी चुनाव कर सकतें हैं।
यहाँ हमने ब्लूहोस्ट (Bluehost) से सम्बन्धित जानकारी दी है क्योंकि यह सर्वाधिक लोकप्रिय डोमेन रजिस्ट्रार है। इसके द्वारा डोमेन नेम खरीदने की पूरी प्रक्रिया निम्नलिखित है –
Step1 – सबसे पहले Bluehost की आधिकारिक वेबसाइट (Official Website) पर जाएं।
Step2 – गैट स्टार्टेड (Get started) पर क्लिक (Click) करते ही आपके सामने सभी प्लान्स खुल जायंगे। अपनी पसंद के प्लान को चुन ले।
Step3 – अब आपके सामने डोमेन नेम चुनने के लिए पृष्ठ खुलेगा। जिसमें आपको अपनी पसंद का डोमेन नेम भरकर चेक (Check) करना होगा कि वो उपलब्ध है या नहीं।
इसे समझाने के लिए हमने apnikala डोमेन नेम का उदाहरण दिया है। जो कि एकदम नया नाम है, इसलिए सभी एक्स्टेंशन्स के साथ उपलब्ध है।
Step4 – ऑफर चुनने के बाद आपको एकाउंट बनाना होगा। यह 4 भागों में बंटा होता है – एकॉउंट इनफार्मेशन (Account Information), पैकेज इनफार्मेशन (Package Information), पैकेज एक्स्ट्रा (Package Extras) और पेमेंट इनफार्मेशन (Payment Information)
एकॉउंट इनफार्मेशन में – आपका नाम (Your Name), बिज़नेस का नाम (Business Name), देश (Country), शहर (City), राज्य (State), पिनकोड (Pin Code), फ़ोन (Phone), ईमेल (Email) और जीएसटी आईडी (GST Id) भरनी होगी।
आपने कौन-सा प्लान खरीदा है, वो कितने समय के लिए लागू होगा और कितने पैसों का है। यह पूरी जानकारी पैकेज इनफार्मेशन में आपको दिखाई जाएगी। डोमेन की गोपनीयता एवं सुरक्षा, ब्लॉग बैकअप, ब्लॉग की सुरक्षा जैसे अतिरिक्त लाभ आप पैकेज एक्स्ट्रा में ले सकतें हैं।
पेमेंट इनफार्मेशन में आपको PayU से पैसे जमा करने होंगें। PayU ऑनलाइन पेमेंट करने का एक तरीका है।
Platform किसे कहते हैं ?
Platform को हिंदी बोलचाल की भाषा में प्लेटफार्म कहते हैं। प्लेटफॉर्म्स उन सॉफ्टवेयर्स (Software) को कहतें हैं, जिन पर ब्लॉग्स बनाएं जाते हैं। इंटरनेट पर बहुत-से प्लेटफार्म उपलब्ध हैं, जिन पर आप ब्लॉग बना सकतें हैं।
Platform चुनने के लिए मुख्य Tips
48. Niche को ध्यान में रखें। |
49. User Friendly होना चाहिए। |
50. जिसके लिए Coding Skills की आवश्यकता न हो। |
51. Easy Setup होना चाहिए। |
52. आकर्षक Themes और Visuals का उपयोग करें। |
53. Analytics को Check करने की सुविधा होनी चाहिए। |
54. आपका पूरा Control होना चाहिए। |
55. Advanced Features और Plugins जोड़ें। |
56. Up To Date और Secure होना चाहिए। |
57. Blog से पैसे कमाना ज़रूरी है। |
Niche को ध्यान में रखें
हर ब्लॉगर को ब्लॉग्गिंग शुरू करने से पहले ये ज़रूर निश्चित करना चाहिए कि वो अपना काम किस फॉर्म में दिखाना चाहता है।ब्लॉगिंग कई तरह से होती है, जैसे – टेक्स्ट फॉर्मैट (Text Format), पिक्चर्स (Pictures), वीडियोज़ (Videos) एवं पोडकास्ट (Podcast) आदि।
किसी भी प्लेटफार्म को चुनने से पहले रिसर्च कर लें कि आपकी ज़रुरत के हिसाब से कौन-सा परफेक्ट (Perfect) है।
User Friendly होना चाहिए
ब्लॉग जितना हो सके सादा, सरल और आसानी से समझ आने वाला बनाएं। जिस भी फीचर (Feature) को जोड़ें, वो यूज़र फ्रेंडली होना चाहिए। जिसका अर्थ है, यूज़र को तुरंत जानकारी मिलनी चाहिए जिसे वो ढूंढने आपके ब्लॉग पर आया है। इसलिए हमेशा ऐसे प्लेटफार्म को चुनें, जो यूज़र के अनुकूल हो।
जिसके लिए Coding Skills की आवश्यकता न हो
ब्लॉगिंग शुरू करने के लिए हमेशा ऐसे प्लेटफार्म को चुनें, जिसमें कोडिंग जानकारी की आवश्यकता न हो। बिना कोडिंग भाषा जाने और सीखे ब्लॉग को मेन्टेन किया जा सके।
Easy Setup होना चाहिए
मंडला आर्ट पर ब्लॉग बनाने के लिए ऐसे प्लेटफार्म को चुनें, जिसे सेटअप करना बहुत आसान हो। बहुत बार प्लेटफॉर्म्स की सेटिंग्स इतनी कॉम्प्लिकेटेड (Complicated) होती हैं कि ब्लॉगर्स को जूझना पड़ता है। इसलिए बहुत ध्यान से चुनें।
आकर्षक Themes और Visuals का उपयोग करें
समय बदलने के साथ-साथ पसंद और आवश्यकताएं बदलना मनुष्य की आदतों में शामिल है। इसलिए जिस भी प्लेटफार्म पर आप ब्लॉगिंग शुरू करें, वो ऐसा होना चहिए जिसमें बदलाव किए जा सकें।
थीम्स और विज़ुअल्स के अंतर्गत ब्लॉग का पूरा लुक आता है, मतलब यूज़र्स को जैसा दिखेगा। तकनीकी क्षेत्र में दिन-ब-दिन प्रगति हो रही है, इसलिए आपको अपने ब्लॉग को भी अप-टू-डेट (Up-to-date) रखना होगा।
Analytics को Check करने की सुविधा होनी चाहिए
किसी भी ब्लॉग की ग्रोथ (Growth) के लिए, उसके आंकड़ों (Statistics) को जानना बेहद ज़रूरी होता है। किस पोस्ट पर कितना ट्रैफिक आया, कौन-सा पोस्ट लोगों को ज़्यादा पसंद आ रहा है और किस पोस्ट से आपकी इनकम हो रही है।
सभी महत्वपूर्ण डेटा (Data) का समय-समय पर विश्लेषण और उसी के अनुसार कार्य करना ब्लॉगर्स के लिए ज़रूरी होता है।
आपका पूरा Control होना चाहिए
कुछ प्लेटफॉर्म्स ब्लॉगर्स को उनके ही ब्लॉग्स पर पूरा अधिकार नहीं देते। वे जब चाहें एकाउंट सस्पेंड (Suspend) कर सकतें हैं। इसलिए ध्यान दें कि आपके ब्लॉग पर केवल आपका ही पूरा नियंत्रण हो।
Advanced Features और Plugins जोड़ें
ब्लॉग शुरू करने से पहले आपको यह बात समझनी होगी कि जैसे-जैसे ट्रैफिक बढ़ेगा फीचर्स और प्लगिन्स एड करने की ज़रूरत पड़ेगी। इसलिए ब्लॉग शुरू करने के लिए जो भी प्लेटफार्म चुनें, एडवांस्ड फीचर्स और ट्राफिक कंट्रोल करने वाला होना चाहिए।
Up To Date और Secure होना चाहिए
मंडला आर्ट ब्लॉग बनाने के लिए अप-टू-डेट और सुरक्षित प्लेटफार्म को ही चुनें। जिसमें नए-नए अपडेट्स खुद-ब-खुद जुड़ते रहे और एकाउंट की पूरी जानकारी सुरक्षित रहे।
Blog से पैसे कमाना ज़रूरी है
आपका अंतिम लक्ष्य है, ब्लॉग से पैसे कमाना। जिस प्रकार किसी भी नौकरी और व्यापर से पहले आप पैसे को प्राथमिकता देते हैं। फायदे यानी कमाई के आधार पर ही आप सही निर्णय ले पाते हैं।
उसी प्रकार ब्लॉग शुरू करते समय इस बात का ख्याल रखें कि कौन-सा प्लेटफार्म नीश के हिसाब से अधिक मुनाफा दे सकता है। बहुत बार नए ब्लॉगर्स ये गलती करते हैं कि प्लेटफार्म जाने बिना ही ब्लॉगिंग शुरू कर देते हैं और सालों की मेहनत के बाद भी पैसे नहीं कमा पाते।
WordPress पर Account कैसे बनाएं ?
इंटरनेट पर वर्तमान समय में WordPress, WIX एवं Squarespace जैसे बहुत अच्छे प्लेटफॉर्म्स उपलब्ध हैं। इनमें से आप किसी एक का चुनाव कर सकतें हैं। प्लेटफार्म पर लॉगिन करके अपनी डिटेल्स भरना एकॉउंट बनाना कहलाता है। ये इसलिए ज़रूरी होता है ताकि आप अपना ब्लॉग शुरू कर सकें।
यहाँ हमने WordPress.org से सम्बन्धित जानकारी दी है क्योंकि यह सर्वाधिक लोकप्रिय प्लेटफॉर्म है। इस प्लेटफार्म पर एकाउंट बनाने की पूरी प्रक्रिया निम्नलिखित है –
Step1 – वर्डप्रेस की अधिकारी वेबसाइट पर जाएं।
Step2 – अपनी पसंद का User Name डालकर Email रजिस्टर करें।
Step3 – आपका एकाउंट वर्डप्रेस पर तैयार है। इसे एक बार Recheck ज़रूर कर ले।
Page किसे कहते हैं ?
Pages को हिंदी बोलचाल की भाषा में पेज कहते हैं। ब्लॉग से सम्बंधित मुख्य जानकारी पेजेज़ में विभाजित होती है। कोई भी ब्लॉग बिना पेजेज़ के पूरा नहीं होता। इनका काम होता है, ब्लॉग से सम्बंधित सारी जानकारी यूज़र तक सही तरह से पहुँचाना।
बहुत बार ब्लॉगर पेजेज़ पर खास ध्यान नहीं देते, जिसकी वजह से वो बहुत से अवसर खो देते हैं। इसलिए आपको बिल्कुल भी इस गलती को नहीं दोहराना है और सलीके से पेजेज़ को ब्लॉग में जोड़ना है।
Page बनाने से सम्बन्धित बेहतरीन Tips
58. Pages बनाने में जल्दबाज़ी न करें। |
59. आकर्षक Logo का इस्तेमाल करें। |
60. Blog के First Impression की तरह होता है Home पेज। |
61. About page पर सिर्फ खास जानकारी ही साझा करनी चाहिए। |
62. Contact Page की Details सटीक रखें। |
63. Post Page को Simple Look दें। |
64. सभी Pages एक Sequence में जोड़ें। |
65. Language में Grammatical Errors नहीं होने चाहिए। |
66. Fonts का Size बड़ा और Style प्रभावी होना चाहिए। |
67. Niche के अनुसार Complimentary रंगों को चुनें। |
68. Service को Highlight ज़रूर कीजिए। |
69. Social Media Icons जोड़ना न भूलें। |
Pages बनाने में जल्दबाज़ी न करें
पेज बनाने में आपको बिल्कुल भी घबराना नहीं है। यह बहुत ही आसान है और ब्लॉग को बेहतर रूप में प्रस्तुत करता है। ब्लॉग पर पेजेज़ जोड़ते समय हमेशा याद रखें कि न तो आवश्यकता से अधिक हों और न ही कम।
हर पेज का कुछ-न-कुछ मतलब होता है, इसलिए ब्लॉग की ज़रुरत के हिसाब से इनका इस्तेमाल करें।
आकर्षक Logo का इस्तेमाल करें
आपके ब्लॉग का लोगो सिर्फ एक चित्र (Picture) या चिन्ह (Sign) नहीं है, बल्कि ये पूरे ब्लॉग की पहचान बनेगा। अगर भविष्य में आप ब्लॉग को व्यवसायिक रूप में विकसित करेंगे तो सबसे पहले आपको लोगो का इस्तेमाल करना होगा।
इसलिए जब भी लोगो डिज़ाइन करें तो वह ऐसा होना चाहिए, जो ब्लॉग के उद्देश्य को प्रदर्शित करे।
Blog के First Impression की तरह होता है Home पेज
सामान्यतः होम पेज पर ब्लॉगर्स ध्यान नहीं देते लेकिन आपको मंडला आर्ट पर ब्लॉग बनाते समय इस गलती को दोहराना नहीं है। होम पेज, फर्स्ट इम्प्रैशन की तरह होता है। यूज़र सबसे पहले ब्लॉग का होम पेज देखता है, इसलिए यह हमेशा प्रभावशाली दिखना चाहिए।
About page पर सिर्फ खास जानकारी ही साझा करनी चाहिए
एबाउट पेज, ब्लॉगर और बिज़नेस के बारे में सम्पूर्ण जानकारी देता है। इस पेज पर अपने और व्यवसाय के बारे में सिर्फ विशिष्ट जानकारी ही साझा करनी चाहिए।
जिसे पढ़कर यूज़र आपका संघर्ष (Struggle), उपलब्धियों (Achievements) और ब्लॉग के उद्देश्य (Purpose) को जान सके।
Contact Page की Details सटीक रखें
जब भी कोई यूज़र ब्लॉग के ओनर (Owner) अथवा कंपनी (Company) से सीधा संपर्क करना चाहता है तब इस पेज पर उपलब्ध जानकारी का इस्तेमाल करता है। इसलिए इस पेज को बनाते समय याद रखें कि जो भी जानकारी आप साझा करें, वो एकदम सटीक और सही होनी चाहिए।
इस पेज को बनाने में बिल्कुल भी लापरवाही न बरतें क्योंकि बहुत बार बड़ी-बड़ी कंपनी ब्लॉगर्स को हायर करने के लिए संपर्क करती हैं। ऐसे में यदि कांटेक्ट पेज पर डिटेल्स (Details) गलत होती है तो ब्लॉगर्स सुनहरे अवसर खो भी देते हैं।
Post Page को Simple Look दें
इस पेज के अन्तर्गत ब्लॉग का सबसे मुख्य हिस्सा आता है यानी पूरा कंटेंट (Content)। कंटेंट उस जानकारी को कहतें हैं, जो ब्लॉगर्स द्वारा ब्लॉग पर पोस्ट की जाती है। चाहे टेक्स्ट फॉर्म हो, पिक्चर्स, वीडियोज़ या पोडकास्ट-सभी प्रकार की जानकारी इसी में शामिल होती है।
सभी Pages एक Sequence में जोड़ें
ब्लॉग में पेजेज़ हमेश क्रम में जोड़ने चाहिए। सबसे पहले होम पेज, एबाउट पेज और सबसे अंत में कांटेक्ट पेज को रखना चाहिए। सर्विसेज (Services) , प्रोडक्ट्स (Products) और पोस्ट्स पेज का क्रम आप अपनी पसंद से बदल भी सकतें हैं।
Language में Grammatical Errors नहीं होने चाहिए
पेजेज़ बनाते समय यूज़र फ्रेंडली भाषा का इस्तेमाल करें। सरल शब्दों का प्रयोग करें और सिर्फ आवश्यक जानकारी को ही साझा करें। भाषा में व्याकरणीय दोष को जितना हो सके दूर करने की कोशिश करें।
Fonts का Size बड़ा और Style प्रभावी होना चाहिए
फ़ॉन्ट्स का साइज़ और स्टाइल कंटेंट को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करने में सहायता करता है। यूजर्स को आकर्षित करने में यह बहुत महत्व रखता है, इसलिए इन पर विशेष ध्यान दें।
Niche के अनुसार Complimentary रंगों को चुनें
कंटेंट के अनुसार रंगों का चुनाव करें। पेजेज़ में बहुताधिक रंगों का उपयोग करने से ब्लॉग प्रभावशाली नही दिखता। खूबसूरत और हल्के रंगों का उपयोग यूज़र्स को जल्दी आकर्षित करता है।
Service को Highlight ज़रूर कीजिए
ब्लॉग द्वारा उपलब्ध करायी जाने वाली सभी सेवाओं को स्पष्ट लिखिए और हाइलाइट कीजिए। जो भी यूज़र ब्लॉग पर आए उसे तुरंत सुविधाएं दिखनी चाहिए।
Social Media Icons जोड़ना न भूलें
पेजेज़ पर सोशल प्रोफाइल लिंक्स जोड़ना न भूलें। ये बहुत ज़रूरी होते हैं क्योंकि सोशल लिंक्स ब्लॉग का ट्रैफिक बढ़ने में सहायता करते हैं। साथ-ही-साथ अगर किसी यूज़र को आपसे सीधे संपर्क करना हो तो वे सोशल मीडिया का उपयोग भी कर सकतें हैं।
Page कैसे बनाएं ?
Step1 – आप WordPress में Login करके Dashboard से Pages पर जा सकतें है।
Step2 – Pages को Edit करके आप उनके नाम रख सकतें हैं।
Step3 – सभी Pages में आवश्यक जानकारी भर लें।
Post किसे कहते हैं ?
Post को हिंदी बोलचाल की भाषा में पोस्ट कहते हैं। ब्लॉग द्वारा दी जाने वाली जानकारी पोस्ट के अंतर्गत आती है। पोस्ट में ही टेक्स्ट, पिक्चर्स, विडियोज़ और मीडिया फाइल्स जोड़े जाते हैं। कंटेंट को कैटेगरी में बाँटना, टैग्स ऐड करना और एसईओ फ्रेंडली बनाना इसी में शामिल हैं।
Post लिखने के लिए खास Tips
70. सार्थक Headlines को जोड़ें |
71. Core Element होते हैं Graphics |
72. Suitable Tags इस्तेमाल करें |
73. सही Category को प्राथमिकता दें |
74. ज़रूरी जानकारी Highlight करना ना भूलें |
75. Keyphrase पर Focused पोस्ट लिखें |
76. SEO Friendly बनाएं |
77. Mobile पर कंटेंट ज़रूर चेक करें |
सार्थक Headlines को जोड़ें
यह पोस्ट का बहुत खास हिस्सा होती हैं क्योंकि यूज़र सबसे पहले हेडलाइंस ही पड़ता है। हेडलाइंस के आधार पर ही कंटेंट का अनुमान लगाया जाता है कि पोस्ट में क्या जानकारी होगी।
इन्हें पूरी फुर्सत और ध्यान से लिखना चाहिए क्योंकि यूज़र आपके ब्लॉग पर आएगा या नहीं, यह काफी हद तक हेडलाइंस पर निर्भर करता है।
पोस्ट में जोड़ा गया कंटेंट अगर एक क्रम में होता है तो यूज़र को आसानी से समझ में आता है। सबसे मुख्य कंटेंट को हमेशा शुरुआत में रखना चाहिए।
Core Element होते हैं Graphics
ग्राफ़िक्स सिर्फ इसलिए न जोड़ें क्योंकि पोस्ट को अच्छा दिखाना है। ग्राफ़िक्स द्वारा उस जानकारी को साझा किया जाता है, जिसे शब्दों में बयां करना मुश्किल होता है। ग्राफ़िक्स पूरे पोस्ट का सार होते है, इसलिए इन्हें बनाने में बिलकुल लापरवाही न करें।
ब्राइट कलर्स (Bright Colors), बिग फॉन्ट (Big Font) और मीनिंगफुल इमेजेज़ (Meaningful Images) का उपयोग करके आप बढ़िया ग्राफ़िक्स बना सकतें हैं।
Suitable Tags इस्तेमाल करें
ज़्यादा टैग्स इस्तेमाल करने से बेहतर है उपयुक्त टैग्स को प्राथमिकता दें। पोस्ट जिस विषय पर आधारित है, उसी से सम्बंधित टैग्स चुनने चाहिए। अगर आप कंटेंट से बाहर के टैग्स चुनेंगे तो अपना समय बर्बाद करेंगे।
सही Category को प्राथमिकता दें
इंटरनेट पर जिन भी विषयों से सम्बंधित जानकारी है, वो कैटगरी में विभाजित होती है। जब पोस्ट को कैटगरी में बांटा जाता है तो वह कंटेंट इंटरनेट की उसी कैटगरी में जुड़ जाता है। इसलिए पोस्ट को सही कैटगरी में बाँटना बहुत आवश्यक होता है।
ज़रूरी जानकारी Highlight करना ना भूलें
पोस्ट में जोड़ी गई आवश्यक जानकारी को हाईलाइट करना कभी न भूलें। हाईलाइट करने से कंटेंट इफेक्टिव लगता है और यूज़र्स को आसानी से मुख्य जानकारी दिखती है।
Keyphrase पर Focused पोस्ट लिखें
हर पोस्ट किसी-न-किसी विषय पर केंद्रित होता है, जिसे तकनीकी भाषा में कीफ्रेस कहा जाता है। हेडलाइंस, ग्राफ़िक्स और कंटेंट सभी के द्वारा दर्शाया जाता है। यह कीफ्रेस पूरे पोस्ट के सभी एलिमेंट्स को जोड़ कर रखता है।
Search Engine Optimization – SEO Friendly बनाएं
पोस्ट को इंटरनेट की पहुंच में लाना एसइओ ऑप्टिमाइज़ेशन कहलाता है। इसके अंतर्गत पोस्ट को इस प्रकार लिखा जाता है कि वह जल्द-से-जल्द गूगल के फर्स्ट पेज पर आ सके।
किसी भी ब्लॉग के लिए यह सबसे महत्वपूर्ण होता है क्योंकि गूगल पर आने से ही ट्रैफिक मिलता है। जितना अधिक ब्लॉग ट्रैफिक होगा, अर्निंग उतनी जल्दी बढ़ेगी।
Mobile पर कंटेंट ज़रूर चेक करें
वर्तमान समय में यूज़र जानकारी ढूंढने के लिए अधिकतर मोबाइल का इस्तेमाल करते हैं। इसलिए पोस्ट पब्लिश (Publish) करने के बाद मोबाइल व्यू (View) ज़रूर चेक कर लें ताकि पोस्ट की कोई भी जानकारी कट न जाए।
Blog पर Post कैसे लिखें ?
Step1 – Dashboard में Post पर जाकर Add Post चुनें।
Step2 – जो भी जानकारी आप साझा करना चाहतें है, उसे Post में जोड़ें।
Step3 – पूरा Post लिखने के बाद एक बार प्रीव्यू (Preview) करके ज़रूर चेक कर लें की कोई जानकारी छूट तो नहीं गई।
Step4 – पूरी जानकारी लिखने के बाद पोस्ट पब्लिश करें।
मुझे उम्मीद है कि आपको मंडला आर्ट पर ब्लॉग कैसे शुरू करें से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी हमारे इस ब्लॉग में मिल गयी होगी। यदि इस विषय से जुड़ा कोई भी प्रश्न हैं तो नीचे टिप्पणी अनुभाग में पूछें, हम उसका उत्तर ज़रूर देंगें।
मेरा नाम प्रज्ञा पदमेश है। मैं इस प्यार से बने मंच – कारीगरी की संस्थापिका हूँ। अपने अनुभव को आप सभी के साथ साझा करना चाहती हूँ ताकि आप भी मेरी तरह कला के क्षेत्र में निपुण हो जाएं।