पूजा घर में कौन सा कलर शुभ होता है, यह जानने से पहले समझना होगा कि यह आस्था और भावनाओं से जुड़ा हुआ है।
इसलिए घर में मंदिर के लिए कौन सा रंग सबसे अच्छा है, से सम्बंधित जानकारी वास्तविकता और खोज पर आधारित होनी चाहिए।
मैं इस ब्लॉग में लेकर आयी हूँ खास दिलचस्प तथ्य, जिनसे आप जान पाएंगे कि मंदिर का कलर कैसा होना चाहिए। पढ़ना शुरू करते हैं –
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पूजा घर में कौन सा कलर शुभ होता है
मंदिर, घर की सबसे शांत और सुकून वाली जगह होती है। इसलिए इस विषय पर गंभीरता से निर्णय लेना चाहिए कि पूजा घर का कलर कैसा होना चाहिए। मैंने इस ब्लॉग में घर की सुख-समृद्धि के लिए खोज और अध्ययन आधारित खास रंगों को चुना है। आइये सभी के बारे में जानते हैं –
नारंगी रंग, जो भर दे मन में नई उमंग
श्री हनुमान जी के रंग एवं श्री राम भक्ति का प्रतीक, नारंगी रंग को सिन्दूरी अथवा भगवा नाम से भी जाना जाता है। इतिहास से जुड़े होने के कारण इस रंग को मंदिर के लिए सबसे ज़्यादा पसंद किया जाता है।
देवी – देवताओं के पूजन के लिए भी नारंगी रंग के गेंदे के फूल और मालाएं चढ़ाई जाती हैं। इसलिए हर शुभ समारोह में गेंदे के फूलों का उपयोग किया जाता है।
यह साहस और भक्ति को दर्शाता है। इसलिए यदि पूजा कक्ष को पवित्र, भक्तिभाव से पूर्ण और पूजनीय बनाना चाहते हैं तो नारंगी रंग सबसे उपयुक्त विकल्प है।
नारंगी रंग ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है इसलिए इसके हल्के शेड्स को ही चुनना चाहिए। जिससे यह बाकी रंगों को न दबा दे और अधिक रौशनी न खींचे।
सफ़ेद रंग, सादगी से अपनी बनता है सबकी पसंद
भारतीय परिप्रेक्ष्य में देखें तो सरस्वती माँ के सफ़ेद वस्त्रों और सफ़ेद कमल के आसन का अत्यधिक महत्व है, जिस कारण यह देवी रूप को भी दर्शाता है।
सफेद रंग को सत्यता और स्वच्छता का प्रतीक माना जाता है, जिसका इस्तेमाल करके किसी भी चीज़ की खूबसूरती कई गुना बढ़ाई जा सकती है।
सफेद रंग हमेशा आनंद की अनुभूति करवाता है, इसलिए यह पूरी दुनिया में सबसे लोकप्रिय रंगों में से एक है।
यदि आप अपने मंदिर के लिए सफ़ेद रंग चुनने के बारे में सोच रहे हैं तो यक़ीनन यह आपके घर में शांति और उन्नति लेकर आयेगा।
पीला रंग, मिट्टी के सामान फल देता है अनंत
प्राचीन काल से ही पीले रंग को पवित्र माना गया है। इसलिए शुभ कार्यों में तिलक, पीले वस्त्र और पीला भोजन ज़रूर इस्तेमाल किया जाता है।
पीले रंग को चन्दन, मिट्टी और प्रकृति से जोड़कर देखा जाता है। इसलिए यह सुख, सौहार्द और सफलता का प्रतीक माना जाता है।
पीला रंग सबसे अधिक ऊर्जा को आकर्षित करता है, इसलिए यह अपने चारों ओर सकारात्मकता फैलाता है।
आध्यात्मिक महत्व होने के कारण यह ध्यान केंद्रित करने में भी सहायता करता है। इसलिए मंदिर के लिए पीला रंग सबसे ख़ास विकल्प है। इसलिए अब आपको चुनाव करने में आसानी होगी कि, पूजा घर में कौन सा कलर शुभ होता है।
लाल रंग, कर देगा भक्ति में मलंग
भारतीय इतिहास के अनुसार लाल रंग समृद्धि और सम्पन्नता का प्रतीक माना जाता है, इसीलिए देवी पद्चिन्हों को हमेशा लाल कुमकुम और रंग से बनाया जाता है।
हिन्दू रीति के अनुसार लाल सिन्दूर, बिंदी, कुमकुम, महावर, चूड़ियाँ और लाल वस्त्र हिन्दू सुहागन स्त्रियों की निशानी है जो कि महिलाओं के सौभाग्य को दर्शाते हैं।
लाल रंग आर्थिक स्तिथि में बढ़ोत्तरी करता है, इसलिए यदि आप मंदिर की दीवारों के लिए इसे चुनते हैं तो यह लाभदायक साबित होगा।
लाल रंग को लेकर मेरी सलाह है कि इसके साथ आप Yellow या Flesh Tint जैसे हल्के Shades चुनें। इससे लाल रंग की चमक बरकरार रहेगी और भडकाऊपन नहीं होगा।
सुनहरा रंग, सुबह जैसी रौशनी लायेगा अपने संग
सुनहरा रंग, सूर्य के सामान ऊर्जा देता है। यह अपनी ओर आकर्षित करता है और ख़ुशी का एहसास कराता है।
सुनहरा रंग सोने का प्रतीक माना जाता है। इसलिए यह शुद्ध, सक्षम और दृढ़ निश्चय बनाये रखने में सहायता करता है।
ऐतिहासिक पन्नों को पलटने पर आप देखेंगे कि सुनहरा रंग आभूषणों और पोशाकों में सबसे अधिक उपयोग किया जाता था।
सामान्यतः यह घर के अन्य हिस्सों में इस रंग को कम प्राथमिकता दी जाती है लेकिन मंदिर के लिए यह विशिष्ट साबित होगा।
मुझे उम्मीद है, पूजा घर में लगाए जाने वाले रंगों के सुझाव आपके लिए शुभ रहेंगे। इस विषय से जुड़ा यदि आपका कोई प्रश्न है तो नीचे Comment Section में ज़रूर पूछें।
मेरा नाम प्रज्ञा पदमेश है। मैं इस प्यार से बने मंच – कारीगरी की संस्थापिका हूँ। अपने अनुभव को आप सभी के साथ साझा करना चाहती हूँ ताकि आप भी मेरी तरह कला के क्षेत्र में निपुण हो जाएं।