मैं एक लेखिका हूँ। मैंने लेखन के क्षेत्र में विभिन्न रचनायें की हैं, जो ऑनलाइन अलग-अलग प्लेटफॉर्मस पर प्रकाशित हुई हैं। यह ब्लॉग मेरी लिखी शायरियों का छोटा संकलन है।
इस ब्लॉग में मैंने पत्नी के लिए कार्ड में कैसी शायरी लिखें से सम्बंधित रचनायें की हैं। आशा करती हूँ आपको पसंद आएँगी।
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पत्नी के लिए कार्ड में कैसी शायरी लिखनी है – सुनते ही हमारे मन में असंख्य भावनाएं उमड़ने लगतीं हैं क्योंकि हम उन्हें एहसास करना चाहतें है कि वो कितनी ख़ास हैं।
पत्नी के लिए कार्ड में शायरी लिखना बहुत ख़ास एहसास है क्योंकि यह हमारे प्रेम की परिचायक होती हैं। यदि आप भी जानना चाहतें हैं कि पत्नी के लिए कार्ड में कैसी शायरी लिखें तो आपको ये ब्लॉग ज़रूर पढ़ना चाहिए।पत्नी के एहसास के लिए कार्ड में शायरी
एहसास के लिए कैसी शायरी लिखें ?
एहसास मेरे यार का, शामिल है रूह में; रूठता है गर तो, दिल टूट जाता है। |
एहसास के तराजू में, न इश्क़ तोलिए; यार मेरे दिल्लगी का ना, मोल बोलिए। |
एहसास मेरे इश्क का, होगा तुझे उस रोज़; खामोशी दिल्लगी, जिस दिन बोल पड़ेगी। |
बेताब सब्र जाने, तनहाइयां मेरी; पहली दफा है आज, जो मैं खुल के जी उठा। |
हर नज़र को तेरी, पहचान हो गई; इक-इक झलक को मैंने, आज़माया सुकून से। |
कल्पना के लिए कैसी शायरी लिखें ?
ख्वाबों में मिल जाना, एहतराम से हमें; बरसों से इक झलक के, इंतजार में हूं। |
पहचानेंगी तुम्हें कभी, जो दिल की धड़कनें; मुड़कर देख लेना, तेरा ख़्याल इधर है। |
तुम्हारी कल्पना में, बुने अधूरे ख़्वाब; पूरे की शर्त मैंने, लगाई ही नहीं। |
खामोशियों में मुझको, तबाह करेंगी; जिस दिन कल्पना को, तेरी सूरत मिलेगी। |
शाखों से परिंदे, मिलकर यूं रुठे हैं; आने से तेरे इंकार, गुरुर टूटा हो। |
पहली मुलाकात के लिए कैसी शायरी लिखें ?
पहरेंगी निगाहें, उसकी सादगी को; आज मेरा हमदम, जब मेरे साथ होगा। |
टूटता है सब्र, ख़ामोश निगाह में; उठती है जब-जब, इंतज़ार के बाद। |
रोको ना दिल को, धड़कने से; मैं खुश हूं मेरा यार, मेरी निशानी है। |
साहिलों पे है रूकी, लहरों की कश्तियां; कोई लफ्ज़ उसमें उतरे, डूब जाने को। |
चाहतों की तस्वीर मेरी, पूरी ना हुई; और तुम आ गए, नए रंग की तरह। |
पत्नी के वजूद के लिए कैसी शायरी लिखें ?
वजूद मेरे दामन से, लिपट के रोया; पहरों में मेरे यार को, शामिल न करो। |
शामिल वजूद तेरा, मेरे ख्याल में; ना हो तो अधूरा सा, लगता है यह जहान। |
साहिल के वास्ते, रुकती नहीं ज़ाहिर; हर एक दम पर तेरे, वजूद की कश्तियां। |
वजूद मेरे मालिक़, महबूब को अता; न होता तो, आईनों का गुरूर चूर। |
वजूद मेरे यार का, हुस्न से भरा; पहचान जाओगे, रूख के सुरूख से। |
अपनेपन के लिए कैसी शायरी लिखें ?
पहचानती है हवा भी, अपनेपन का जूनून; ठहरो के मेरे यार का, हक़ तो मैं दे दूँ। |
अपनों के वक़्त बाद, मोहताज हुए हम; इश्क़ की बाज़ी के फिर, सरताज हुए हम। |
अपना हुआ गैर, मुद्दतों के बाद है; राब्ता रब ने, जोड़ा मेरे वास्ते। |
अपनापन शाइस्ता, घरौंदे आने पर; परिंदों के निशान, अब तक कायम हैं हूबहू। |
अपनापन ना रहेगा, बंद शाम में; मैं टूट के बिखरुंगा, यारी के वास्ते। |
अगर आपको शायरियां अच्छी लगीं तो कमेंट सेक्शन में मुझे ज़रूर बताएं। कौन सी शायरी ने आपको अपनी पत्नी से जोड़ा, हमसे साझा करें। मुझे पूरा यकीन है कि अब आप जान गए होंगें कि पत्नी के लिए कार्ड में कैसे शायरी लिखें।
मेरा नाम प्रज्ञा पदमेश है। मैं इस प्यार से बने मंच – कारीगरी की संस्थापिका हूँ। अपने अनुभव को आप सभी के साथ साझा करना चाहती हूँ ताकि आप भी मेरी तरह कला के क्षेत्र में निपुण हो जाएं।