क्या आपने भी ऐपण के बारे में सुना है ? कभी आपके मन में भी यह प्रश्न आया है कि ऐपण आर्ट क्या है ? यदि हाँ, तो इस कला के बारे में जानने के लिए इस ब्लॉग को अंत तक पढ़ें।
दीपावली पर देश भर में रंगोली स्टिकर्स का उपयोग किया जाता है। क्या आप जानतें हैं कि यह स्टिकर्स ऐपण कला का ही एक रूप हैं।
हमने इस ब्लॉग में इस प्राचीन लोककला से सम्बंधित सभी महत्वपूर्ण पहलूओं को साझा किया है, इसलिए अंत तक हमारे साथ बने रहें।
ऐपण क्या है ?
ऐपण, उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र की पारम्परिक लोककला है। यह दिखने में रंगोली के समान लग सकती है लेकिन इसे बनाने में निश्चित सामग्री का उपयोग किया जाता है।
इससे पहले कि ऐपण कला के विस्तार में जाएँ। इसका संछेप विवरण निम्न तालिका के रूप में प्रस्तुत है –
कला का प्रकार
ग्रामीण क्षेत्रीय लोककला |
ऐपण कला की उत्पत्ति
कुमाऊं क्षेत्र, उत्तराखंड |
ऐपण बनाने के लिए प्रयुक्त सामग्री
लाल गेरू एवं विस्वार |
ऐपण कला की तकनीक
दाहिने हाँथ की अंतिम तीन उँगलियों के प्रयोग द्वारा |
ऐपण आर्ट कौन बना सकता है
घर की सभी आयुवर्ग की महिलाएं |
ऐपण कला का महत्त्व
प्राचीन सभ्यता एवं संस्कृति का धरोहर त्योहारों के आगमन का प्रतीक कलात्मक अभिव्यक्ति का परिचायक सुख-समृद्धि का आभास |
ऐपण का क्या अर्थ है ?
ऐपण शब्द संस्कृत के ‘अर्पण‘ शब्द से उद्धृत हुआ है, जिसका शाब्दिक अर्थ ‘सौंपना अथवा भेंट देना’ होता है। कुमाऊंनी संस्कृति और पुरानी प्रथाओं के अनुसार इसे ‘लेखन अथवा लेखनी’ से जोड़ा जाता है।
ऐसी मान्यता है कि ऐपण एक प्रकार का लेखन है, जिसे अपने पूज्यनीय देवी-देवताओं को समर्पित किया जाता है।
ऐपण कला का उद्गम कहाँ हुआ ?
विभिन्न प्राचीन कथाओं के अनुसार ऐपण कला के उद्गम के साक्ष्य उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में मिलते हैं। इस कला की शुरुआत तंत्र-मंत्र एवं आध्यात्मिक कार्यों के लिए की गई थी।
बदलते समय के साथ इस कला का उपयोग सकारात्मकता कार्यों में किया जानें लगा। ऐपण में बनाई गयीं रचनायें सकारात्मक शक्तियों के आवाहन में सहायक होती हैं और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती हैं।
ऐपण कब बनाये जाते हैं ?
उत्तराखंड में कुमाऊं सभ्यता के अनुसार हर छोटे-बड़े शुभ अवसर पर ऐपण कला का निर्माण किया जाता है। नामकरण, जनेऊ, विवाह संस्कार, त्योहारों एवं धार्मिक अनुष्ठानों आदि पर खूबसूरत ऐपण बनाये जाते हैं।
ऐपण डिज़ाइन कहाँ बनाये जाते हैं ?
ऐपण डिज़ाइन घर की देहली, मुख्यद्वार, फर्श, तुलसी के पौधे के गमले, मंदिर की दीवारों, मंदिर की सीढ़ियों, रसोईघर की दीवारों, ओखली और हवन कुंडों पर उकेरे जाते हैं।
ऐपण बनाने में किस सामग्री का उपयोग किया जाता है ?
ऐपण बनाने के लिए मुख्यतः गेरू (प्राकृतिक लाल मिट्टी अथवा लाल खड़िया), विस्वार (चावलों को भिगोकर और पीसकर बना घोल), हल्दी, जौ तथा पिठ्या (रोली) का उपयोग किया जाता है।
ऐपण में मुख्यतः किन आकृतियों को बनाया जाता है ?
ऐपण डिज़ाइन में मुख्य रूप से माँ लक्ष्मी के चरण, गणेश जी, पवित्र स्वास्तिक, सूरज-चंदा, फूल-पत्तियां, चौखाने-चौपड़ एवं अष्टदल कमल आदि बनाये जाते हैं। यह सभी आकृतियां घर की महिलाएं दाहिने हाँथ की अंतिम तीन उँगलियों से बनाती हैं।
वर्तमान में ऐपण कला का क्या महत्त्व है ?
ऐपण उत्तराखंड की सांस्कृतिक परम्परा है, जिसे यहाँ के लोग पीढ़ी-दर-पीढ़ी एक-दूसरे को सिखाकर इस धरोहर को बचाने की कोशिश कर रहे हैं।
ऐपण डिज़ाइन में बनाई जाने वाली सभी आकृतियां सुख और समृद्धि का प्रतीक हैं। इसलिए शुभ अवसरों पर इन्हें बनाकर लोग देवी आगमन की इच्छा करते हैं।
ऐपण कला के पीछे छिपी भावना सकारात्मक है, इसलिए इससे व्याप्त होने वाली ऊर्जा भी सकारात्मक है। ये लोगो में नवीन उत्साह भरती है और उन्हें शुभ कार्य करने के लिए प्रोत्साहित करती है।
हमें उम्मीद है कि इस ब्लॉग को पढ़कर आप ऐपण कला के सभी महत्वपूर्ण तथ्यों को जान गए होंगे। यदि ऐपण आर्ट से जुड़ा आपका कोई प्रश्न है तो नीचे टिप्पणी अनुभाग में ज़रूर पूछें।
मेरा नाम प्रज्ञा पदमेश है। मैं इस प्यार से बने मंच – कारीगरी की संस्थापिका हूँ। अपने अनुभव को आप सभी के साथ साझा करना चाहती हूँ ताकि आप भी मेरी तरह कला के क्षेत्र में निपुण हो जाएं।